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Friday, November 21, 2014

भीनी सी खुशबू


गए मौसम की
भीनी सी खुशबू
यूं रगों में उतर आई है....
जैसे कोई अनदेखी सी छुअन
जिस्म में ऐसे असर कर जाए
जैसे सहरा की रेत में....
पहली बारिश....
ज़हन के हाथ में वो इस्म
जिसकी दस्तक ....
बंद दरिंचों को एक नज़ाकत से
ऐसे खोलेगी कि आँगन मेरा
हर दरींचे की अलग खुशबू से
छलक-छलक जाएगा.....!!!

*
इस्म-नाम

2 comments:

  1. बंद दरिंचों को एक नज़ाकत से
    ऐसे खोलेगी कि आँगन मेरा
    हर दरींचे की अलग खुशबू से
    छलक-छलक जाएगा.....!!!
    वाह .... बुहत खूबसूरत एहसासात को नज़्म किया है आपने........ बहुत खूब

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  2. शुक्रिया हादी जावेद साब।

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