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Friday, August 10, 2012

तलाश


जो गुजरे हैं गम की राहों से, उनसे आँख क्यूँ चुराऊँ मैं,
जो शिला दे मेरी वफाओं का, मुझे उस नज़र की तलाश है,
 ज़िंदगी के इस सफर में, कई मोड़ ऐसे आयेंगे,
जो मेरी मंज़िलों का पता दे, उस रहगुज़र कि तलाश है,
डर है कि इस हालात से, टूट कर न बिखर जाऊँ मैं,
 जो बढ़ कर थाम ले मुझे, उस हमसफर कि तलाश है,
माना कि सहल हो हर खुशी, दुनियाँ भी मेरे साथ हो,
जो गम मेरे शरीक हो, उस चश्मतर कि
तलाश है...!!!

आँचल


और भी गम हैं ज़माने में रूलाने के लिए,
एक तुम हीं नहीं तन्हा मुझको सताने के लिए,
लग जाए अगर आग तो क्या कीजिये,
होती है एक चिंगारी हीं बहुत घर को जलाने के लिए,
इस दुनियाँ में बेवफ़ाई का देखा है अंजाम यही,
 रहती नहीं वफा की हस्ती, दर्द-ए-जफ़ा उठाने के लिए,
हँस रहा है वो आज अपनी हालत पे यूं,
क्या मिला नही है हक़ उसको महबूब का मातम मनाने के लिए,
अपने दिल में दबे शोलों से क्यूँ डरती हो ‘रश्मि’…??
अपने
आँचल पर लगे दाग से क्यूँ नाराज़ हो तुम...??
है एक बूंद हीं तेरे अशकों का,दामन पर लगे दाग को मिटाने के लिए.....!!!

सिसकते एहसास


कभी खुदा से कुछ नही मांगा मैंने
,
एक तेरी मोहब्बत के सिवा,
तुम थे तो सबकुछ था,
दामन भरा पड़ा था मेरी खुशियों से,
आज भी भरा पड़ा है दामन मेरा,
मगर खुशियाँ कहीं फिसल सी गई हैं,
कुछ बिखरे लमहें...एक दरकता रिश्ता...
और कुछ सिसकते एहसास,
बहुत कुछ है मेरी साँसों में...
जो कभी तुम्हारी साँसों से जुड़ी पड़ी थी,
बस एक छोटी सी शिकायत की थी मैंने,
अपना 'स्व' देकर तुम्हें मांगा था,
मगर शायद बंट जाना पुरुष की फितरत है,
और मुझे बंटे रिश्ते स्वीकार नहीं,
इसलिए चल दिये तुम मुझे छोड़ कर,
जाते जाते याद ना करने की नसीहत दे गए थे,
'मन' काश तुम मुझे भूल जाने की तरकीब भी बताते जाते.....!!!