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Wednesday, November 20, 2013

~~~एक एहसास~~~

सिर्फ एक एहसास....
सिर्फ एक एहसास
कि तुम मेरे पास हो
मेरी रूह से गुजरते हुए
मेरी साँसों में समाये हुए
अनगिनत लोगों की भीड़ में भी
तुम्हारी प्यार भरी दो निगाहें
सबसे छुपकर तन पे लगती हैं
बर्फ से भी ठंडी
मगर सुलगती आँखें
ना जाने कितने
अजनबी चेहरे
उसमें एक तुम्हारा चेहरा
सबसे अलग नूरानी चेहरा
जब भी मिलते हो
प्यार में डुबो जाते हो
मैं तुमको खुद से
जुदा करूँ भी तो कैसे
मेरी ज़िंदगी में यही तो है...
सिर्फ एक एहसास कि
तुम मेरे पास हो....!!!

उसकी यादें....

फिर उसकी यादें गुजरी हैं
मेरे शहर से बादल की तरह
फूल हीं फूल बिखर गए राहों में
मेरे आँचल की तरह
सुना रहा है बीते मौसम की........
कहानी वो मुझसे.....
जिस्म भींगे हुए हैं बारिश में अब तक
गीली लकड़ी की तरह....
कभी सुना नहीं मैंने
ऊंची आवाज़ में उसे कुछ कहते हुए.....
नाराजगियों में भी उसका लहजा रहा
मोम की तरह......
मिल के उस शख्स से
मैं चाहे जो कह जाऊँ......
खामोशियों में बोल उठती हैं
उसकी निगाहें घुँघरू की तरह
जब तक वो मेरे साथ है
ज़िंदगी मुसकुराती है....
फैलता जाता है फिर आँखों में
मेरे काजल की तरह....
अब किसी तौर से
पीछे लौटने की सूरत हीं नहीं....
रास्ते सभी बंद हैं
दिल के दरवाजे की तरह......
जिस्म के अंदर बने
मंदिर में सुबह--शाम
जल उठता है रोज
वो दीये की तरह......!!!!!

मौन.....


मौन का अर्थ हर पल
स्वीकृति हीं नहीं होती....
कभी कभी ये किसी आने वाले
तूफान को भी दर्शाता है...
मगर तुम क्या समझो
तुम्हें तो वो सबकुछ....
करने की आदत है....
जो तुमने चाहा....
शायद इसीलिए आज भी
अपनी बात रखकर
मेरी खामोशी को....
अपनी जीत समझकर
चल दिये तुम....


ये जाने बगैर कि मेरे अंदर
कितने तूफान दबे पड़े हैं....
आज गर मैं खामोश रही
तो मेरा जमीर हीं मुझसे
बगावत कर उठेगा....
इसलिए कहती हूँ....
कि मेरे हृदय पर पड़ी
राख़ की परत को कुरेदने की
कोशिश मत करो....
बेखयाली में अपना दामन
जला बैठोगे.....!!!

'रश्मि अभय'