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Sunday, February 5, 2017

रहगुज़र

मुझमें ना ढूंढना मुझको,
मैं खुद में होकर भी नही हूँ।
बहुत दूर तक चली है
ये रहगुज़र मेरे साथ साथ
मगर जहाँ से मैं चली थी
आज भी वहीँ हूँ...
कहते हैं अजीज मेरे
बदल गई हूँ मैं अब
जाकर उन्हें कहे कौन
मैं कशमोकश में पड़ी हूँ
आजमाइशें बहुत हैं
और हौसले टूटते हैं
आसमाँ को छूना है
और मैं जमीं पर खड़ी हूँ।

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