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Wednesday, February 6, 2013

बेटी

किस किस नाम से
नहीं पुकारा तुमने 
गिनने पर आऊँ 
तो गिन भी ना पाऊँ
सच तो ये है 
कि इनके बीच
मैं अपना वो नाम 
भूल गई,जो कभी मेरी 
पहचान हुआ करती थी
जिसे मेरे माँ-बाबा ने
उतने हीं प्यार से रखा था
जिस लाड़ से तुमने
अपनी बेटी का नाम रखा है
मगर आज किसी ने
तुम्हारी बेटी को कुछ कह दिया
तो किस तरह तुमने आसमान को
सर पर उठा लिया
पल भर में भूल गए मेरे दर्द को
मेरी पहचान को
कि मैं भी किसी की बेटी हूँ
मेरे माँ-बाबा ने भी उसी लाड़ से
मेरी परवरिश की होगी
और बहुत अरमान से
तुम्हें मेरे जीवनसाथी के रूप में
चुना होगा...उन्हें क्या पता था
कि तुम अपने शब्दों के बाण से
उनकी बेटी के वजूद को
चिथड़े चिथड़े कर दोगे...!!!

‘रश्मि अभय’ (६ फरवरी २०१३,८:१० पी एम)

2 comments:

  1. मेरे माँ-बाबा ने भी उसी लाड़ से
    मेरी परवरिश की होगी
    और बहुत अरमान से
    तुम्हें मेरे जीवनसाथी के रूप में
    चुना होगा...उन्हें क्या पता था
    कि तुम अपने शब्दों के बाण से
    उनकी बेटी के वजूद को
    चिथड़े चिथड़े कर दोगे...!------marm ko chuti hua rachna badhai

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