'तुम' मुझे 'पागल' कहते हो
ठीक हीं कहते हो....
जो मुझे समझ ना पाये
उनको मैं पागल हीं लगूँगी
चाहे जिस रंग में रंग दो मुझे
मेरा अपना कोई रंग नहीं
जब चाहो मँझधार में छोड़ दो
मुझे तुमसे कोई जंग नहीं
नींद को तरसी आँखें मेरी
जब जो चाहे ख्वाब तुम ले लो
चाभी भरो जी भर खेल के लो
फिर एक रैपर में पैक कर के रख दो
रूप सजाओ,शृंगार करो
प्यार करो आँखों में बसाओ
और जब दिल भर जाए
दिल से उठा कर ताक पर रख दो
'तुम' मुझे 'पागल' कहते हो
ठीक हीं कहते हो....
No comments:
Post a Comment