एक तो दुनियाँ के
रश्म-ओ-रिवाज़
उस पर तुम्हारी बेरुखी
चलो जुदा हो हीं जाते हैं
समाज को दिखने के लिए
कब तक साथ चलेंगे हम
मुझे तुमसे कोई
शिकायत नहीं
हाँ खुद से हीं
नाराजगी है
जो कदम आज उठाया
उसका निर्णय पहले हीं
क्यू नहीं ले लिया था
तुम मेरे दामन की
सारी खुशियाँ ले लो
मैं अपने गम ले जाती हूँ
फिर कभी तुम ये ना कहना
'रश्मि' तो खुदगर्ज़ निकली...!!!
रश्म-ओ-रिवाज़
उस पर तुम्हारी बेरुखी
चलो जुदा हो हीं जाते हैं
समाज को दिखने के लिए
कब तक साथ चलेंगे हम
मुझे तुमसे कोई
शिकायत नहीं
हाँ खुद से हीं
नाराजगी है
जो कदम आज उठाया
उसका निर्णय पहले हीं
क्यू नहीं ले लिया था
तुम मेरे दामन की
सारी खुशियाँ ले लो
मैं अपने गम ले जाती हूँ
फिर कभी तुम ये ना कहना
'रश्मि' तो खुदगर्ज़ निकली...!!!
अति सुंदर
ReplyDelete"समाज को दिखने के लिए" की जगह "समाज को दिखाने के लिए" कीजिए
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