मौन का अर्थ हर पल
स्वीकृति हीं नहीं होती....
कभी कभी ये किसी आने वाले
तूफान को भी दर्शाता है...
मगर तुम क्या समझो
तुम्हें तो वो सबकुछ....
करने की आदत है....
जो तुमने चाहा....
शायद इसीलिए आज भी
अपनी बात रखकर
मेरी खामोशी को....
अपनी जीत समझकर
चल दिये तुम....
ये जाने बगैर कि मेरे अंदर
कितने तूफान दबे पड़े हैं....
आज गर मैं खामोश रही
तो मेरा जमीर हीं मुझसे
बगावत कर उठेगा....
इसलिए कहती हूँ....
कि मेरे हृदय पर पड़ी
राख़ की परत को कुरेदने की
कोशिश मत करो....
बेखयाली में अपना दामन
जला बैठोगे.....!!!
'रश्मि अभय' —
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