तेरी महफिल में आकार ‘प्रीतम’ दिल मेरा बेज़ार होता है...!
खुशी पाने की मंज़िल
पे ही गम सौ बार होता है...!!
तड़पते हैं बहारों
में यही किस्मत में है ‘’रश्मि’’ मेरी...!
मेरी नाकाम उलफत पर
रुसवा मेरा प्यार होता है...!!
संभाल कर पाओं रखना ऐ ‘’प्रीतम’’ मेरी उलफत में...!
आशिकी की गली में
राह काँटेदार होता है...!!
तलाश-ऐ-प्यार लेकर
हम चल पड़े उनकी महफिल में...!
बड़ी मुश्किल से कभी दिलबर का दिलदार होता है.....!
बड़ी मुश्किल से कभी दिलबर का दिलदार होता है.....!
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