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Wednesday, March 6, 2013

इक्तेफाक ......


अजीब इक्तेफाक है
वो हर मोड़ पर मुझे मिल जाता है
वो एक शख्स...
जो मुझसे दूर जाने का
दावा किया करता है...
अभी अभी एक अजनबी ने
इतला की है
वो बीमार है...बहुत बीमार
मिलने की ख़्वाहिश है
वो एक शख्स
जो मुझसे ना मिलने की
दुआएं मांगता था
सोच रही हूँ मैं
कैसी विडम्बना है ये ज़िंदगी की
वो एक शख्स जो कभी
मेरी दुनियाँ हुआ करता था
जो जीवन के कठिन राहों में
मुझे छोड़ कर आगे बढ़ गया
आज पीछे लौटना चाहता है
तो क्या जड़ से उखड़ जाने के बाद भी
दिल में आज कहीं कुछ रह गया है
मगर इस रिश्ते को सींचने के लिए
वो विश्वास कहाँ से लाऊँ
जो खंडित हो गया है
वो एक शख्स
जो मेरी ज़िंदगी बन गया था....!!!
        'रश्मि अभय'


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