कितना सुकून है इन परिंदों के साथ
जी करता है उम्र गुज़र जाए
इनके पंखों के साये में
मैं इनसे अपने दिल की
हर बात करती हूँ
और ये मेरे प्यारे दोस्त
बहुत हीं धैर्य के साथ
मेरी बातें सुनते हैं
मैं अकेली कहाँ हूँ इस जहां में
ये मेरे संगी साथी हैं
जब भी ये खुश होते हैं
पंखों को खोल कर
आसमान की बुलंदियों को छु आते हैं
और फिर लौट कर
मेरे कंधों पर बैठ मेरे कानों में
सरगोशी करते हैं...'रश्मि'
उड़ान पंखों से नहीं
हौसलों से होती है
तुम बस पहल करो
कारवां बनता जाएगा
जी करता है उम्र गुज़र जाए
इनके पंखों के साये में
मैं इनसे अपने दिल की
हर बात करती हूँ
और ये मेरे प्यारे दोस्त
बहुत हीं धैर्य के साथ
मेरी बातें सुनते हैं
मैं अकेली कहाँ हूँ इस जहां में
ये मेरे संगी साथी हैं
जब भी ये खुश होते हैं
पंखों को खोल कर
आसमान की बुलंदियों को छु आते हैं
और फिर लौट कर
मेरे कंधों पर बैठ मेरे कानों में
सरगोशी करते हैं...'रश्मि'
उड़ान पंखों से नहीं
हौसलों से होती है
तुम बस पहल करो
कारवां बनता जाएगा
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