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Friday, January 17, 2014

'कुछ बातें दिल से दिल तक'......



बातों बातों में जब भी तुम
हौले से मेरी हथेलियों को
छू लेते हो...तो
मेरा तन मन यूं खिल उठता है
जैसे खिंजा के मौसम में
मेरे दिल पर बहार ने दस्तक दी हो
जैसे बिन बरसात जंगल में
मोर नाच उठा हो...
जैसे मेरे बेरंग जीवन में
एक साथ कई रंग बिखर गए हो
जैसे मेरे प्यासे हृदय को
बारिश की बूंदों नें अंदर तक
भिंगो डाला हो....सुनो...
तुम्हारे जाने के बाद भी
मैं देर तक अपनी हथेलियों को
सहलाती रहती हूँ....
महसूस करती हूँ तुम्हारे
स्पर्श की खुशबू को...
यूं जैसे तुम्हारे प्यार को
अपने मन की सीपी में
'
मोती' की तरह क़ैद
कर लेना चाहती हूँ..सुनो..
तुम मेरे उजड़े चमन में
सुगंधित पुष्प बनकर आए हो
मेरे जीवन में सदा यूं हीं
सिर्फ प्यार बनकर रहना....!!!

'
कुछ बातें दिल से दिल तक'......

खुशबू....


गुजरे हुए मौसम की 
खोई हुई ख़ुशबू
यूँ मेरे रगों में उतर आई...
कि जैसे कोई भूला हुआ 


रूपहला ख्वाब
एक हकीकत बनकर 

सामने आ जाए
जैसे सहरा की जमीं पर 

पहली बारिश...
जैसे कोई बिछड़ा हुआ शख्स
इबादत बन कर 

जहां पर छा जाये
जैसे किसी ने बहुत हल्के से
दिल के दरवाज़े पर 

दस्तक दी हो
और बड़ी नरमी के साथ....
यादों के बंद दरीचों को 

खोला हो
कुछ इस तरह कि 

हर दरीचे की
अलग-अलग ख़ुशबू से 

मेरे घर का आँगन
रंग-दर-रंग छलक जाए....!!!!


Thursday, January 16, 2014

ना जाने कहाँ खो गए सब रिश्ते...

रिश्ते चाहे खून के हो या आपके जज़्बात का....छलते सभी हैं। और सबकुछ समझते हुए भी हम खामोश रहते हैं...कभी रिश्ता किसी बात से बिखर ना जाए ये सोचकर तो कभी अपनी हीं भावनाओं से मजबूर होकर।सच में ज़िंदगी एक व्यवसाय बन गई है...तेरा-मेरा का भाव सबसे प्रबल हो चुका है....'हम' ना जाने कब टूट कर 'मैं' और 'तुम' में बिखर गया है।